महिला प्रत्याशियों के सामान्य ज्ञान का स्तर चौंकाने वाला
महात्मा गाँधी, पंडित नेहरु, राष्टृपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, 15 अगस्त और 26 जनवरी के बारे में नहीं जानतीं अधिकतर प्रत्याशी
कानपूर, अक्टूबर 14: आपको शायद सुनकर विश्वास न हो पर कल्यानपुर ब्लाक में आने वाली बहेड़ा ग्राम पंचायत की प्रधान गिरिजा देवी आज तक यह नहीं जानतीं कि एक प्रधान का कार्यकाल कितना होता है. गिरिजा देवी के आलावा कई अन्य महिला प्रत्याशियों ने भी साधारण सामान्य ज्ञान के सवालों के ऐसे उत्तर दिए की बड़े तो बड़े पांचवीं कक्षा के बच्चे भी शर्मिंदा हो जाएँ.
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बहेड़ा की प्रधान गिरिजा देवी |
बहेड़ा ग्राम पंचायत की पिछली प्रधान गिरिजा देवी अपने को हाई स्कूल बताती हैं और इस बार लगातार दूसरी बार प्रधान बनने का सपना लिए मैदान में हैं. उनके पति ने बहुत टालमटोल के बाद उनसे बात करने की अनुमति दी और साथ में अपने भतीजे को भी “मदद” के लिए बैठा दिया. उनसे कुछ बहुत ही साधारण सवाल पूछे गए जिनके उत्तर हर भारतीय को पता होने चाहिए. हर सवाल पर वो बहुत ही असहज दिखाई दीं और किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पायीं. भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम पूछे जाने पर वह बगलें झांकती नज़र आयीं तो 15 अगस्त और 26 जनवरी के बारे में पूछे जाने पर शून्य में निहारती रहीं. भारत की राजधानी, उत्तर प्रदेश की राजधानी, प्रदेश की मुख्यमंत्री का नाम, भारत का राष्ट्रगान, जवाहरलाल नेहरु और महात्मा गाँधी के बारे में भी प्रधान जी कुछ न बता पायीं. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि पांच साल तक प्रधान का पद “सँभालने” के बाद भी गिरिजा देवी ये न बता पायीं कि एक प्रधान का कार्यकाल कितना होता है.
बात यहीं पर खत्म नहीं होती. यही सवाल जब बहेड़ा और धर्मंगदपुर महिला सीटों से प्रधान पद की अन्य दावेदारों से किये गए तो उनका सामान्य ज्ञान भी न्यूनतम स्तर के लिए गिरिजा देवी को कड़ी चुनौती देता मिला. बहेड़ा से ही दूसरी बार प्रत्याशी नसनिया निवासी सोमवती विश्वकर्मा पांचवीं पास हैं पर इन सरे सवालों के बीच वहाँ से हटने को बेचैन दिखीं. उत्तर प्रदेश की राजधानी दिल्ली बताने वाली सोमवती ने सिर्फ इसी प्रश्न का उत्तर दिया. वहाँ मौजूद सोमवती के समर्थकों और रिश्तेदारों ने उनकी उम्र का हवाला देते हुए उनका बचाव किया और पहला मौका मिलते ही सोमवती ने वहाँ से हटना बेहतर समझा और घर के भीतर चली गयीं.
बहेड़ा से ही तीसरी प्रत्याशी मंजू शर्मा हाई स्कूल पास हैं और कुछ प्रश्नों के उत्तर उन्होंने घर के भीतर परदे की ओट से दिए भी परन्तु 26 जनवरी और 15 अगस्त क्यों मनाये जाते हैं को लेकर वो असमंजस में दिखाई दीं. रिश्तेदारों के बीच में पति के बगल में बैठी मंजू शर्मा ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बताया.
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धर्मंगदपुर से प्रत्याशी आशा सिंह |
धर्मंगदपुर से प्रधान पद के लिए कुल 15 महिलाएं मैदान में हैं. इनमें से पांच प्रत्याशियों से बात करने पर ऐसे ही अजीबोगरीब जवाब मिले. सीमा अवस्थी (हाई स्कूल) 26 जनवरी को स्वंत्रता दिवस बताती मिलीं तो आशा सिंह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मुख्यमंत्री का नाम नहीं बता पायीं. राधना सिंह, शशिकला, और गुड्डी भी अधिकतर सवालों के उत्तर न दे पायीं और अपने सम्बन्धियों और समर्थकों के बताये उत्तर ही दोहराती रहीं. धर्मंगदपुर से पिछली बार विजयी और इस बार दोबारा प्रधान बनने की मंशा रखने वाली सरोज पासवान को उनके पति रामनरेश पासवान ने घर से बाहर आने की अनुमति नहीं दी.
प्रत्याशियों के हतप्रभ कर देने वाले सामान्य ज्ञान पर जहाँ उनके परिवार के लोग और समर्थक उनका बचाव करते मिले वहीँ गाँव के सामान्य पढ़े लिखे नागरिकों ने इस पर अफ़सोस जताया. बहेड़ा के जयराम, राधेश्याम, प्रेमशंकर, सीमा सोनकर, और गायत्री देवी ने कहा की इनसे अच्छा सामान्य ज्ञान तो बच्चों का होता है. पनकी स्थित विद्युत परिषद इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल देवेन्द्र कुमार अवस्थी ने इस बारे में पूछे जाने पर गहरा असंतोष व्यक्त किया और कहा, “असल में म.न.रे.गा. की वजह से प्रधानी में आये पैसे के लिए प्रधान पदों के लिए ऐसी होड देखने को मिल रही है और इसका महिला सशक्तिकरण से कुछ भी लेना देना नहीं है. इसे इन गाँवों का और लोकतंत्र का दुर्भाग्य कहिये की कुछ भी न जानने वाली इन्ही महिलाओं में से प्रधान चुनना लोगों की मजबूरी है. आप ही बताइए ऐसे प्रत्याशी गाँव का और विशेषकर महिलायों का क्या भला करेंगे?”
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