पंचायत चुनाव विशेष
धर्मंगदपुर और बहेड़ा महिला प्रधान सीट
कानपूर, अक्टूबर 8: धर्मंगदपुर और बहेड़ा महिला सीट होने की वजह से कुल 18 महिलाएं प्रधान पद की दावेदार हैं परन्तु चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी अधिकतर मामलों में परिवार के पुरुष सदस्यों, विशेषकर पतियों पर ही है. महिलाओं का चुनाव में खड़ा होना सीट की मज़बूरी ज्यादा और उनकी अपनी मर्ज़ी कम नज़र आ रहा है.
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बहेड़ा की प्रधान गिरिजा देवी और साथ में "मदद" के लिए बैठे उनके भतीजे |
बहेड़ा में दो मजरों (नासनिया और लौकपुरवा) को मिला कर कुल 1853 वोट हैं. कल्यानपुर ब्लाक में सबसे कम तीन प्रत्याशी इस पिछड़ी जाती महिला सीट की दावेदार हैं. शम्भू दयाल, दिनेश प्रसाद, श्याम किशोर, प्रेमशंकर, और राजेश कमल जैसे ग्रामीणों ने बताया की गाँव की मुख्य समस्या जलभराव की है. बरसात में तीन फीट तक पानी गाँव के अंदर की मुख्य सड़क पर भर जाता है जिससे निकलने में बहुत दिक्कत होती है. पिछली प्रधान गिरिजा देवी से इस बारे में बातचीत करने के लिए उनके पति ने काफी हीलाहवाली के बाद अनुमति दी और फिर साथ में जवाब देने के लिए अपने भतीजे को भी बैठा दिया. चुनाव में खड़े होने की वजह, गाँव की मुख्य समस्या, गाँव के विकास की योजना, पिछली बार क्या कार्य किये , महिलाओं के लिए क्या कार्यक्रम हैं जैसे सभी सवालों के जवाब उनके भतीजे ने ही दिए. यह पूछने पर की आप प्रधान की भूमिका और घर की जिम्मेदारी में संतुलन कैसे बनाती हैं? गिरिजा देवी तो चुप ही रही पर उनके भतीजे ने कहा, “चाची इतनी उम्र में कहाँ जाएँगी, हम ही बाहर का काम देखते हैं और जब जरुरत पड़ती है तो चाची को साथ ले जाते हैं.” सबसे बड़े आश्चर्य की बात ये थी की प्रधान का कार्यकाल कितना होता है पूछे जाने पर भी गिरिजा देवी ने कोई जवाब नहीं दिया. बहेड़ा से दो अन्य उमीदवार सोमवती विश्वकर्मा और मंजू शर्मा के यहाँ भी कमोबेश यही स्थिति देखने को मिली. चुनाव प्रचार के बारे में पूछने पर सोमवती ने जहाँ ये कहा की उनके पति बाहर गए हैं और वही इन सवालों के जवाब दे पाएंगे वहीँ मंजू शर्मा ने घर के अंदर घूँघट की ओट में कई रिश्तेदारों के बीच कुछ सवालों के जवाब तो दिए पर गिरिजा देवी की तरह यहाँ भी अधिकतर सवालों के जवाब पति, रिश्तेदारों, या समर्थकों ने ही दिए.
सचेंडी से मात्र चार किलोमीटर दूर बसे धर्मंगदपुर में दो मजरों (बिर्वाही और ककराना) को मिला कर 2966 वोट हैं जिनके लिए कुल 15 महिलाएं इस सामान्य महिला सीट से मैदान में हैं. गाँव के निवासियों अच्छेलाल, विकास, जवाहर कृष्ण, गुड्डी, रेखा देवी और अन्य ने बताया की गाँव से सब्जी लेने तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. बड़े बच्चों को पढ़ने के लिए 6-7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है क्योंकि गाँव में कोई इंटर कॉलेज नहीं है जिससे लड़कियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. बिजली और गाँव के अंदर की सड़क यहाँ पर भी बड़ी समस्याएं बताई गयीं. जब पिछली प्रधान सरोज देवी से इन समस्याओं के बारे और उनके चुनाव प्रचार के बारे में पूछने की कोशिश की गयी तो वो घर के अंदर ही रहीं और उनके पति रामनरेश पासवान ने अनमने ढंग से घर के बाहर सवालों के जवाब दिए.
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आत्मविश्वास से भरीं कल्पना निगम |
सीमा अवस्थी, शशिकला, किरण गुप्ता, और आशा सिंह भी चुनाव प्रचार के बारे में जानकारी देने के लिए अपने पतियों पर निर्भर नज़र आयीं. एकमात्र प्रत्याशी जो पूरे आत्मविश्वास के साथ बात करने सामने आयीं वो थीं कल्पना निगम जो की अंग्रेजी से ऍम ऐ हैं और भाऊपुर में एस एल डी पब्लिक स्कूल में प्रिंसिपल हैं. शारदा नगर निवासी कल्पना निगम अपने आप को गाँव की बेटी बताती हैं और कहती हैं की गाँव की बेटी होने के नाते उनका हक बहुओं से ज्यादा है और यही वजह है की वो बड़े आराम से पूरे गाँव में घूम कर चुनाव प्रचार कर रही हैं. जनसंपर्क को चुनाव प्रचार का प्रमुख तरीका बताते हुए उन्होंने ने स्वीकार किया की उन्होंने इससे पहले कोई सामाजिक कार्य नहीं किया पर उन्होंने पूरा भरोसा जताया की गाँव की जनता उनको मौका देगी. गाँव में सब्जी बाजार लाने को उन्होंने जरुरी बताया और कहा की लड़कियों के लिए स्कूल खुलवाना उनकी प्राथमिकता होगी.
प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के दूसरे दौर में 14 अक्टूबर को मतदान होना है. कल्यानपुर ब्लाक में कुल 44 ग्राम पंचायतें हैं जिन पर 421 प्रत्याशी प्रधान के पद के लिए चुनाव मैदान में हैं. इनमें से 146 महिलाएं हैं.
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